रविवार, 22 जनवरी 2017

जल्लीकट्टू के ऊपर बैन लगाने का साजिश

जल्लीकट्टू के ऊपर बैन लगाने का साजिश कुछ इस तरह से है------
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1) एक यूरोपियन समिति ने यूरोपियन दूध को ए ग्रेड का एवं भारतीय गायों के दूध को बी ग्रेड का डिक्लेअर किया था (वास्तव में ये उल्टा है). इस निर्णय से यहाँ के गायों के दूध के निर्यात पर नकारात्मक एवं यूरोपियन दूध के निर्यात पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा.
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2) विदेशी दूध का भारत में आयात, शुरू में काफी कठिन था, क्यूंकि, लगभग सभी गावों में लोगों के यहाँ गायें होतीं थीं, जिससे दूध की आवश्यकता पूरी हो जातीं थीं. जिससे, कि कोआपरेटिव मिल्क डेपो तक दूध पहुँचाया जाता था, जहाँ से कि ये दूध सरकारी एजेंसीज एवं प्राइवेट मिल्क विक्रेताओं तक पहुच जाता था.
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3) गांवों में गायों की उच्च नस्लों को बनाए रखने एवं उनके संवर्धन के लिए, इनकी ब्रीडिंग उच्च गुणवत्ता वाले बुल्स से कराए जाते हैं, जिसके लिए, jallikattu खेल का आयोजन होता था.
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4) बुल्स को मजबूत एवं स्वस्थ बनाने के लिए, इन्हें, उच्च गुणवत्ता वाले खाद्यान्नों को खिलाया जाता था, जिसके लिए धन की आवश्यकता होती थी. बुल्स के मालिक , इसके लिए गांवों के लोगों से कर्ज इत्यादि लेते थे. इस खेल प्रतियोगिता में भाग लेने वाले, बैल के मालिकों को कुछ सहायता राशि भी मिलती थी.
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5) अब यदि jallikattu के खेल को बैन कर दिया जाता है, तो ये बैल कत्लखानो में बेचे जायेंगे. जिससे कि उनके मालिकों द्वारा लिए गए कर्जों का भुगतान हो सके.
इसी तरह के कुछ खेलों के ऊपर बैन लग जाने से, कुछ अन्य अति उच्च गुणवत्ता वाले बैल एवं सांड आज विलुप्त हो चुके हैं. कुछ स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाएं, बची हुई प्रजातियों क बचाने के लिए कार्य कर रही हैं.
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6) अब यदि, इन उच्च गुणवत्ता वाले, प्रजातियों को नष्ट किया जाता है तो, गायों का संवर्धन के लिए कृत्रिम तकनीक का यूज़ करना पड़ेगा. जिससे की विदेशो से किये जाने वाले आयात व्यापार की पुनः वृद्धि होगी. लेकिन इसमें भी, निम्न गुणवत्ता वाले, शुक्राणुओं कू ही भारत को आयात में दिया जा रहा है.
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7) अब यहाँ, जो लोग धन संपत्ति वाले होंगे, वे ही केवल गुणवत्ता वाले दूध अपने घर में खपत कर पायेंगे, निम्न आय वाले लोग दूध का दर्शन भी नहीं कर सकेंगे. ये उच्च गुणवत्ता कहे जाने वाले दूध भी विदेशो से ही आयातित ही होंगे.
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8) पेटा नाम का एक स्वयंसेवी विदेशी संस्था जो काल्पनिक रूप में ही जानवरों को बचाने के लिए कार्य करती है, वे ही जिसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पूर्वा जोशीपुरा जो नाम से हिन्दू है, लेकिन वह अमेरिकी नागरिक है. ये महिला ही इस jallikattu के ऊपर रोक लगाए जाने के समर्थन में है.
इस मामले में सुनवाई के लिए, सुप्रीम कोर्ट में जो वकीलों की दलीलें हुई हैं, उन्हें प्रत्येक घंटों के दलील के लिए करोड़ रुपये मिले.
अब सवाल ये है कि, ये रुपये इन वकीलों को कौन डेट होगा? निश्चय ही प्राइवेट कंपनियां ही देतीं होंगी, जो हमारे यहाँ व्यापार करतीं हैं.
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9) जबकि इसी पेटा संस्था ने मेक्सिको में होने वाले बैलों की लड़ाई पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई जीसमे कि विजेता रहने वाले लोग, इन जानवरों कि धारदार हथियारों से हत्या की जाती है.
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10) जबकि पेटा ने उस खेल पर रोक लगाने की कोशिस की है, जिसमे विजेता को बैलों या सांडो के पुट्ठे पकड कर एक सीमा रेखा तक जाना होता है. जिससे इन जानवरों को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुँचती है.
भारत की सभी परम्पराओं में, समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखा जाता है, सभी की अर्थ व्यवस्था चले इसका ध्यान रखा जाता है.