रविवार, 22 जनवरी 2017

गजब है ये सेकुलरिज्म

भारत में गजब का सेकुलरिज्म चल रहा है, जिसकी सच्चाई 90% हिन्दुओ को मालूम ही नहीं, ये सेकुलरिज्म इतना घिनोना है, इतना दोगला है की दुनिया में इसका कोई और उदाहरण ही नहीं।

इसी सेकुलरिज्म के कारण, जलीकट्टू तो बैन होता है, कांवड़ पर डीजे का नियम आता है, डांडिया पर नियम आता है, दीपावली 10 बजे के बाद नहीं, दही हांड़ी पर नियम आता है। पर बकरीद पर कत्लेआम के बाबजूद कोई नियम नहीं आता, जबकि सेक्युलर तत्व अक्सर डायलॉग मारते है, की कानून सबके लिए बराबर है।

अभी आपने भारत में मॉडर्न लोगों को देखा होगा, कुत्तों के शौखीन होते है। अच्छा है, कुत्ता एक अच्छा वफादार जानवर होता है, हम भी कुत्तों को प्रेम करते है, अच्छे दोस्त होते है।

दुनिया भर में कुत्तों के बचाव के लिए अलग अलग NGO चलते है, सेव डॉग्स का नारा दिया जाता है, और इस नारे को देने वाले लोगों को बुद्धिजीवी और एनिमल लवर बताया जाता है, ये लोग दया और करुणा से भरे हुए है।
भारत में एक और नारा चलता है, सेव द टाइगर, हम इसके भी 100% समर्थन में है, टाइगर हमारा राष्ट्रीय पशु है, उसका बचाव तो होना ही चाहिए।

इस नारे को लगाने वालो को अक्सर लोग सोशल वर्कर यानि सामाजिक कार्यकर्त्ता कहते है, ये लोग बेहद पढ़े लिखे और दया वाले माने जाते है।

और इसी देश में कुछ लोग, गाय बचाओ का भी नारा देते है। पर जहाँ भी गौ रक्षा की कोई बात करता है, तुरंत उसे सांप्रदायिक और कट्टर बता दिया जाता है, उसे फ़ौरन मुस्लिम विरोधी, और संगी इत्यादि बताया जाता है, ऐसे लोग जो बिलकुल कट्टर है और किसी के खान पान में अड़ंगा लगा रहे है।

भैया ये गजब का सेकुलरिज्म है, इन सेक्युलर लोगों के लिए कुत्ता और बाघ तो जानवर है, पर गाय इनके लिए खाना है, जानवर नहीं, कुत्ता और बिल्ली और बाघ का तो खून निकलता है पर गाय का तो खून ही नहीं होता।

गजब है ये सेकुलरिज्म

और ये सेकुलरिज्म इतना भयानक है की, अगर ये कायम रहा तो भारत के अस्तित्व को ही समाप्त कर देगा।